राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम राष्ट्र की एकता, आत्मगौरव और मातृभूमि के प्रति समर्पण का जीवंत संदेश देता है - विधायक श्री सिन्हा






महासमुंद 7 नवम्बर 2025/ वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पूरे देश के लिए गर्व और राष्ट्रभक्ति का अद्वितीय अवसर है। वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर पहले चरण में आज कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया। यह राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रातः 10 से 11 बजे तक सीधा प्रसारण किया गया। प्रधानमंत्री के उद्बोधन के पश्चात पूरे देश में एक साथ वंदे मातरम् का सामूहिक गायन किया गया। इस अवसर पर जिला स्तरीय कार्यक्रम जिला पंचायत महासमुंद में आयोजित किया गया।

 जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में विधायक श्री योगेश्वर राजू सिन्हा शामिल हुए। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मोगरा पटेल, उपाध्यक्ष श्री भीखम सिंग ठाकुर, छत्तीसगढ़ बीज निगम के अध्यक्ष श्री चंद्रहास चंद्राकर, जिला स्काउट एवं गाइड के जिलाध्यक्ष श्री येतराम साहू, नगरपालिका उपाध्यक्ष श्री देवीचंद राठी, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष श्री पवन पटेल, कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह, जिला पंचायत सीईओ श्री हेमंत नंदनवार एवं अन्य जनप्रतिनिधिगण मौजूद थे।  

इस अवसर पर विधायक श्री योगेश्वर राजू सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ एक स्मरणीय अवसर के साथ राष्ट्र की एकता, आत्मगौरव और मातृभूमि के प्रति समर्पण का जीवंत संदेश है। यह आयोजन नई पीढ़ी को भारत की सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ते हुए उनमें देशभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्रीय चेतना की भावना को और गहराई देगा। वंदे मातरम् केवल गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का स्वर है, जिसकी गूंज हर नागरिक के हृदय में नई ऊर्जा और गर्व का संचार करेगी। 


छत्तीसगढ़ बीज निगम के अध्यक्ष श्री चंद्रहास चंद्रहास चंद्राकर ने कहा कि भारत गीत की रचना के आज 7 नवंबर 2025 को 150 साल हो गए। वंदे मातरम् जो कभी देश की आजादी के आंदोलनकारियों का अमर वाक्य रहा, आज भी ये मातृभूमि के लिए हमारे अटूट प्रेम की ये निशानी है। वंदे मातरम् का पहली बार बंगदर्शन में 7 नवंबर 1875 को प्रकाशन हुआ था। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1882 में इसे आनंदमठ में प्रकाशित किया। एक कविता से राष्ट्रीय गीत बनने की वंदे मातरम् की यात्रा कभी न भूलने वाली है।

 
जिला स्काउट एवं गाइड के अध्यक्ष श्री येतराम साहू ने कहा कि वंदे मातरम् के रचनाकार बंकिम चंद्र चटर्जी 19वीं सदी के बंगाल की सबसे मशहूर साहित्यकार थे। उपन्यास, कविता और निबंधों के जरिये बंगाली साहित्य के साथ उन्होंने राष्ट्रवाद की ऐसी अलख जगाई जो धीरे-धीरे सूरज की रोशनी की तरह फैलती गई। आनंदमठ, कपालकुंडला दुर्गेश नंदिनी और देवी चौधरानी भी उनकी रचना है, इसमें गुलामी के दौर की सामाजिक जकड़न को इलमें दिखाया गया हैं। 


कलकत्ता में अक्टूबर 1905 में देशभक्ति को बढ़ावा देने के लिए वंदे मातरम संगठन की स्थापना की गई। समुदाय के सदस्य हर रविवार वंदे मातरम् गाते हुए प्रभात फेरी निकालते थे। इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य श्रीमती रामदुलारी सिन्हा, जगमोती भोई, श्री नैन पटेल, श्री महेन्द्र सिक्का, श्री आनंद साहू, श्री रमेश साहू, श्री राजू चंद्राकर, श्री अरविन्द प्रहरे, श्री शरद मराठा मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डीएमसी श्री रेखराज शर्मा द्वारा किया गया।


चार चरणों में होगा वर्षभर आयोजन
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के मार्गदर्शन में इस ऐतिहासिक पर्व को वर्षभर चलने वाले महाअभियान के रूप में मनाया जा रहा है। देश के साथ छत्तीसगढ़ में भी यह आयोजन जनभागीदारी के साथ चार चरणों में ग्राम पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक भव्य रूप में संपन्न किया जाएगा। जिसमें प्रथम चरण 7 से 14 नवम्बर 2025, द्वितीय चरण 19 से 26 जनवरी 2026, तृतीय चरण 7 से 15 अगस्त 2026 (हर घर तिरंगा अभियान के साथ), और चतुर्थ चरण 1 से 7 नवम्बर 2026 तक चलेगा।


 इस दौरान राज्य के सभी जिलों, जनपदों, ग्राम पंचायतों, शैक्षणिक संस्थानों, कार्यालयों एवं सामाजिक संगठनों में राष्ट्रगीत के सामूहिक गायन के साथ विविध कार्यक्रम आयोजित होंगे। साथ ही जिले के सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में वंदे मातरम विषय पर विशेष सभाएँ, निबंध, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, पोस्टर निर्माण, एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताएँ आयोजित की गई। एनसीसी, एनएसएस, स्काउट-गाइड और स्कूल बैंड के माध्यम से वंदे मातरम् और देशभक्ति गीतों की धुन पर प्रस्तुतियाँ दी जाएगी।




सवेरा 24 न्यूज 
राजेश साव 7240825555

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